Wednesday, August 2, 2023

ओपनहाइमर' एक लंबे मुकदमे की कहानी

  


क्रिस्टोफर नोलन की फ़िल्म 'ओपनहाइमर' एक लंबे मुकदमे की कहानी है. फ़िल्म के दौरान पूरे समय आप बहुत बारीकी से जांच कमेटी की कार्यवाही को देखते हैं. दूसरे विश्वयुद्ध और उसके बाद कई वर्षों तक अमेरिका और यूरेशिया भू-भाग के बीच चले शीत युद्ध ने ऐसी जाने कितनी रोमांचक कहानियों को जन्म दिया था, जिनमें पहचान बदलकर काम करने वाले जासूस थे, डबल एजेंट थे, खूफिया जानकारी पहुँचाने वाली खूबसूरत नर्तकियां थीं. 


एटम बम के अविष्कारक जे रॉबर्ट ओपेनहाइमर का जीवन उन तमाम रोमांचक किस्सों से अलग नहीं था. शायद यही वजह रही हो कि जब नोलन ने बीसवीं शताब्दी के इस विवादास्पद वैज्ञानिक के जीवन पर फ़िल्म बनाने का फैसला किया तो उसे एक नॉयर सिनेमा की शैली दी. 


'नॉन लीनियर' स्टोरी टेलिंग पसंद करने वाले नोलन सिनेमा के स्क्रीन पर ओपनहाइमर की इस दिलचस्प कहानी को बयान करने के लिए एक जटिल संरचना का इस्तेमाल करते हैं. फ़िल्म का कुछ हिस्सा ब्लैक एंड व्हाइट है और काफी हिस्सा कलर में. 


नोलन ने एक इंटरव्यू में खुद ही यह स्पष्ट कर दिया कि ऐसा उन्होंने फ़िल्म में सब्जेक्टिव और ऑब्जेक्टिव टोन के संतुलन के लिए किया है. रंगीन हिस्से की पटकथा 'फर्स्ट परसन' में लिखी गई है और यह हिस्सा ओपनहाइमर की निजी स्मृतियों, उसके अवसाद, उसके प्रेम संबंधों, वामपंथी राजनीति की ओर झुकाव और क्वांटम फिजिक्स के प्रति उसके ऑब्सेशन से भरा हुआ है. 


रंगीन दृश्य क्योंकि 'फर्स्ट परसन' में हैं तो वहां पर हम नोलन की फ़िल्म मेकिंग पर उपन्यासों की चिर-परिचित शैली 'स्ट्रीम ऑफ कांशसनेस' का असर भी देख सकते हैं. जैसे हिरोशिमा और नागासाकी पर एटम बम गिराए जाने के बाद जब पहली बार ओपनहाइमर (सिलियन मर्फ़ी) स्टेज पर जाता है तो हॉल में जोश में भरे लोग खुशी से लकड़ी के फ़र्श पर अपने पैर पटक रहे होते हैं, जूतों की यह लयबद्ध आवाज़ इससे पहले भी कई बार सुनाई देती है मगर वह ध्वनि ओपनहाइमर के भीतर गूंज़ रही थी. 


इसी तरह ट्रायल के दौरान जब फ़िल्म के नायक पर मानसिक रूप से गहरा दबाव पड़ता है, तो उसका फ़िल्मांकन भी देखते बनता है. फ़िल्म की शुरुआत में शांत जल पर गिरती बूंदे दिखती हैं, जिसे फिर हम बिल्कुल अंत में आइंस्टीन के साथ ओपनहाइमर की मुलाकात में देखते हैं. फ़िल्म के इस रंगीन हिस्से में कई समानांतर टाइम लाइन चलती है. 


बतौर पटकथा लेखक नोलन ने इतनी सफाई से ओपनहाइमर के निजी जीवन, अतीत, बंद कमरे में चल रहे आरोपों की सुनवाई जैसे तमाम हिस्सों में आवाजाही करते हैं और संपादन के दौरान इन्हें इस तरह एक-दूसरे के साथ समानांतर कट से जोड़ा है कि फ़िल्म सिर्फ एक कहानी नहीं बल्कि एक विचार या फिर कहें कि एक बहस की तरह आगे बढ़ती है. 


हालांकि इस तरह की शैली में अगर एक पल के लिए आपका ध्यान स्क्रीन से हटता है तो कहानी के सूत्रों को दोबारा पकड़ने में बहुत मुश्किल हो सकती है. उदाहरण के लिए ओपनहाइमर से आइंस्टीन की मुलाकात, हवा से आइंस्टीन की कैप गिरने और उन दोनों के बीच बातचीत वाला दृश्य फ़िल्म में दो बार आता है. 


शुरुआत में यह दृश्य हम लेविस (रॉबर्ट डाउनी जूनियर) के नजरिये से देख रहे होते हैं और वह सारा हिस्सा ब्लैक एंड व्हाइट में दिखाया गया है, इस दौरान दोनों के बीच क्या बातचीत होती है हम नहीं जान पाते क्योंकि लेविस खुद नहीं जानता कि आइंस्टीन और ओपनहाइमर के बीच क्या बात हुई. फ़िल्म के क्लाइमेक्स में यही दृश्य दोबारा आता है, इस बार यह दृश्य रंगीन है क्योंकि सिनेमा के नजरिये से यह ओपनहाइमर के 'प्वाइंट ऑफ व्यू' है. 


यहां पर दोनों के बीच जो संवाद है, उसे एक 'कन्क्लयूडिंग स्टेटमेंट' की तरह देखा जा सकता है. हालांकि, खुद नोलन स्वीकार करते हैं कि उन्होंने फ़िल्म का अंत खुला छोड़ा है, यानी यह 'ओपन एंडेड' फ़िल्म है. इसके बावजूद 'ओपनहाइमर' अंतिम निष्कर्ष में यह बात बड़े साफ तरीके से कहती है कि सत्ता देश की प्रतिभाओं का इस्तेमाल 'पॉलिटिकल प्रॉपगैंडा' के लिए करती है, लेकिन अगर उन प्रतिभाओं में से कोई सत्ता के लिए तकलीफ का सबब बनता है तो बड़ी आसानी से उसे ठिकाने भी लगा देती हैं. 


फ़िल्म बड़ी खूबसूरती से ओपनहाइमर के निजी और सार्वजनिक जीवन में आवाजाही करती है और ठीक इसी तरह से वह उसके भय, अवसाद, प्रेम और असुरक्षा को भी दिखाती चलती है. नोलन इस फ़िल्म के बहाने में हमें जिस बहस में ले जाते हैं, उसमें बहुत सारे सवाल खुलते हैं. अमेरिका को सुपर पॉवर बनाने वाला ओपनहाइमर देखते-देखते एंटीनेशनल कैसे हो गया? एटम बम का अविष्कार करने वाला व्यक्ति उस देश में चल रहे हाइड्रोजन बम प्रोजेक्ट के खिलाफ क्यों हो गया था? 


बतौर निर्देशक क्रिस्टोफर नोलन के पॉलीटिकल स्टेटमेंट बहुत स्पष्ट हैं. फ़िल्म दिखाती है कि कैसे दूसरे विश्व युद्ध के बाद अमेरिका और रशिया के बीच चल रहे शीत युद्ध के दौरान अमेरिका में उदारवादी सोच पर हमले शुरु हो गए थे. एटॉमिक विस्फोट तक सब ठीक था, मगर हिरोशिमा और नागासाकी पर बम गिरने के बाद ओपनहाइमर भीतर से दरकने लगता है, समय बीतता है और अमेरिका को परमाणु ऊर्जा की ताकत देने वाला व्यक्ति ही एटॉमिक एनर्जी की पॉलिसी की आलोचना शुरू कर देता है. 


सत्ता के शीर्ष पर बैठे लोगों को इससे दिक्कत होने लगती है. फ़िल्म के ब्लैक एंड व्हाइट हिस्से में हम अमेरिका की एटॉमिक एनर्जी कमीशन (एईसी) के चीफ लेविस स्ट्रास और ओपनहाइमर के आरोपों की सुनवाई को देखते हैं. सन् 1954 की सुरक्षा मंजूरी की सुनवाई में ओपनहाइमर पर यह आरोप लगा कि उसका जुड़ा कम्यूनिस्ट पार्टी से था और वह देश के राजनीतिक शत्रुओं के साथ उठता-बैठता था. 


ओपनहाइमर बतौर वैज्ञानिक किसी एक राजनीतिक विचारधारा पर आस्था नहीं रखते थे. लेकिन 1930 के दशक में कई युवा बुद्धिजीवियों की तरह, ओपेनहाइमर सामाजिक बदलाव के समर्थक थे. जिसे फ़िल्म उनके समाजवादी विचारों की तरफ झुकाव में देखती है. फ़िल्म में अमेरिकी सिनेटर जोसेफ मैक्कार्थी के समय की झलक बहुत बेहतरीन तरीके से दिखाई गई है, जब अमेरिकी सरकार वामपंथी विचारधारा से जुड़े लोगों की जासूसी करती थी. 


फि़ल्म में ओपनहाइमर को स्पेनिश गृहयुद्ध और वामपंथी संगठनों की मदद करते हुए दिखाया गया है. वास्तविकता यह थी कि ओपनहाइमर ने भले कम्युनिस्ट पार्टी का सदस्य होने से इनकार किया हो, वे साम्यवादी सिद्धांतो से सहमति रखते थे. हालांकि उन्होंने कभी किसी पार्टी के आदेशों का आँख बंद करके पालन नहीं किया.  


फ़िल्म में गीता के एक श्लोक 'कालोऽस्मि लोकक्षयकृत्प्रवृद्धो लोकान्समाहर्तुमिह प्रवृत्तः' का भी जिक्र है. इस श्लोक का जिक्र ओपनहाइमर अपने एक साक्षात्कार में भी करते हैं, जिसे देखा जा सकता है लेकिन फ़िल्म में नायक इस श्लोक को अपनी वामपंथी प्रेमिका जीन टैटलॉक के साथ के अंतरंग पलों में पढ़ता है. 


फ़िल्म का एक और बहुत ही उल्लेखनीय दृश्य है जब ओपेनहाइमर अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति ट्रूमैन से मिलते हैं. बातचीत के दौरान वे कहते हैं कि उन्हें लगता है कि उनके 'हाथों पर खून लगा है'. इस टिप्पणी से ट्रूमैन असहज हो जाते हैं और जेब से रुमाल निकालकर ओपनहाइमर की तरफ बढ़ा देते हैं. यह कई जगह दर्ज है कि ट्रूमैन ने ओपनहाइमर को 'क्राइ बेबी साइंटिस्ट' और 'सन ऑफ अ बिच' कहा था.  


'ओपेनहाइमर' को देखते हुए डेविड लीन की 'डॉक्टर जिवागो' याद आती है. उसकी तरह यह एक भव्य 'एपिक ड्रामा' तो है, मगर इससे भी आगे यह एक वैचारिक फ़िल्म है. फिल्म देखते हुए आप बंधे तो रहते हैं मगर लगातार सोचते भी रहते हैं. नोलन ओपनहाइमर को क्लीन चिट नहीं देते. वे उसके कमजोर पलों को भी दिखाते हैं. यह फ़िल्म बुद्धिजीवी और राजनीति के रिश्तों, राष्ट्रवाद, राज्य के नियंत्रण जैसे मुद्दों पर सोचने के लिए आपको खुला छोड़ती है.


आज जब हम हम सारी दुनिया में कट्टरपंथ और राष्ट्रवाद का उभार देख रहे हैं तो यह फ़िल्म और भी ज्यादा प्रासंगिक हो जाती है. दूसरे विश्व युद्ध के बाद एक नई दुनिया उभर कर सामने आई थी, जिसमें वैज्ञानिकों, लेखकों और बुद्धिजीवियों ने अपनी पक्षधरता तय की और यह समझा कि इस बदली हुई दुनिया में उनकी भूमिका सिर्फ अपने काम तक सीमित नहीं रहेगी. अल्बर्ट आइंस्टीन, बर्ट्रेंड रसेल, ओपनहाइमर और टीएस एलिएट जैसे लोगों ने युद्ध के खिलाफ आवाज उठाई. वे उन संभावित खतरों को लेकर भी चिंतित थे जो वैज्ञानिक आविष्कार भावी मानवता के लिए पैदा कर सकते थे.  


हर तकनीक नई आशंकाएं लेकर आती है. आर्टिफीशियल इंटैलिजेंस नई चिंताओं को जन्म रहा है. आने वाली दुनिया बहुत से बदलावों से होकर गुजरेगी. ये बदलाव बहुत कुछ देकर जाएंगे और बहुत कुछ हमसे खो भी जाएगा. तीन घंटे की इस फ़िल्म को देखते हुए बार-बार मन में यह सवाल उठता है कि क्या सभ्यताएं इतिहास से कोई सबक नहीं लेतीं?

धर्मेन्द्र को थप्पड़ मारने वाली बच्ची

  


नूतन के साथ दिख रही ये बच्ची थी बॉलीवुड की दबंग एक्ट्रेस, धर्मेंद्र की एक हरकत से बौखलाकर जड़ दिया था थप्पड़...पहचाना क्या?
नूतन के साथ दिख रही ये बच्ची बड़ी होकर बॉलीवुड की सुपरस्टार और दबंग एक्ट्रेस बनी. एक बार इस एक्ट्रेस ने गुस्से में धर्मेंद्र को थप्पड़ जड़ दिया था. क्या आप इन्हें पहचान पाए?

बॉलीवुड इंडस्ट्री के हर दशक में खूबसूरत अभिनेत्रियों का अपना एक अलग दौर रहा है. उनमें से कुछ एक्ट्रेसेस ऐसी रही हैं जिनकी खूबसूरती और अदाकारी ने सीधा लोगों के दिल को छुआ है. आज हम आपको 60-70 के दशक की एक ऐसी ही अभिनेत्री की बचपन की तस्वीर से रूबरू करा रहे हैं. तो अगर आप बॉलीवुड के डाय हार्ड फैन हैं तो जरा इस तस्वीर को देखकर बताइए अपनी चुलबुली अदाओं से सबका दिल जीत लेने वाली ये किस बॉलीवुड एक्ट्रेस के बचपन की फोटो हो. अगर तस्वीर देख कर समझ नहीं आ रहा है तो आपको हिंट के लिए बता देते हैं. इस बच्ची ने राजेश खन्ना, संजीव कुमार और धर्मेंद्र जैसे कई दिग्गज बॉलीवुड एक्टर्स के साथ ऑन स्क्रीन धमाल मचाया है. इसके अलावा एक और हिंट देते हुए आपको बता देते हैं कि ये बॉलीवुड के सिंघम की सास भी हैं.
दिमाग के घोड़े दौड़ाने के बावजूद अगर आप इस बच्ची को नहीं पहचान पाए हैं तो चलिए हम आपको बता देते हैं. इस ब्लैक एंड व्हाइट तस्वीर में नजर आ रही मासूम सी प्यारी बच्ची कोई और नहीं बल्कि बॉलीवुड की बेहद खूबसूरत एक्ट्रेस तनुजा हैं. तनुजा मुखर्जी अपने दौर की जानी-मानी एक्ट्रेस रही हैं. 23 सितंबर 1943 को तनूजा का जन्म मुंबई में हुआ था. तनुजा ही नहीं उनकी मां शोभना समर्थ भी अपने जमाने की मशहूर अभिनेत्री हुआ करती थीं. बचपन में ही तनुजा के माता-पिता एक दूसरे से अलग हो गए थे. उन्होंने अपने करियर की शुरुआत बतौर बाल कलाकार साल 1950 में आई फिल्म हमारी बेटी से की थी.

जमाने की जानी-मानी अभिनेत्री और काजोल की मम्मी तनुजा का एक किस्सा धर्मेंद्र से जुड़ा हुआ है. इस किस्से में हंसी मजाक नहीं बल्कि थप्पड़ की गूंज है. दरअसल ये मामला  साल 1965 में फिल्म चांद और सूरज की शूटिंग के दौरान का है. खुद तनुजा ने एक इंटरव्यू में इस बात का जिक्र करते हुए बताया था कि धर्मेंद्र शादीशुदा थे. प्रकाश कौर उनकी पत्नी थीं और बेटा सनी देओल पांच साल के थे. बावजूद इसके धर्मेंद्र तनुजा के साथ फ्लर्ट कर रहे थे. तनुजा धर्मेंद्र की इस हरकत पर इस कदर बिफर गई थीं कि उन्होंने आव देखा ना ताव और जोरदार थप्पड़ जड़ दिया. तनुजा का गुस्सा देखकर धर्मेंद्र उनके सामने शर्मिंदा हुए और माफी मांगने लगे. उन्होंने कहा- 'तनु, मेरी मां, सॉरी बोलता हूं. प्लीज मुझे अपना भाई बना लो'. लेकिन तनुजा ने इनकार कर दिया. बार-बार मनाए जाने के बाद तनुजा मान गईं और तब उन्होंने धर्मेंद्र की कलाई पर एक काला धागा बांध दिया.
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अक्षय कुमार फिल्म 'ओएमजी 2' का टीजर रिलीज होने के बाद सीन को देख कर लोग भड़क गए

 



 OMG 2 Teaser Akshay kumar Troll: अक्षय कुमार, यामी गौतम और पंकज त्रिपाठी की लीड रोल वाली फिल्म 'ओएमजी 2' के टीजर के का फैंस काफी समय से इंतजार कर रहे थे। अब फिल्म का टीजर रिलीज हो गया है। फिल्म की टीजर के बाद अक्षय कुमार सोशल मीडिया पर छा गए है। फिल्म के इस टीजर को लेकर सोशल मीडिया पर काफी चर्चा हो रही है। फैंस 'ओएमजी 2' की टीजर की जमकर तारीफ कर रहे हैं। तो वहीं कुछ लोगों ने फिल्म के टीजर से एक ऐसी कमी निकाली है, जिसको लेकर सोशल मीडिया पर जमकर विवाद हो रहा है। तो चलिए जानते है टीजर के किस सीन को लेकर विवाद हो रहा है



अक्षय कुमार, पंकज त्रिपाठी की फिल्म 'Oh My God 2' का टीजर रिलीज हो गया. टीजर के आते ही लोगों के रिएक्शन भी सामने आने लगे. इस फिल्म में पहले पार्ट के जैसे ही आस्तिक और नास्तिक, भगवान और आस्था पर चर्चा की गई है सभी सितारों के लुक शानदार हैं और पूरे टीजर के दौरान 'हर हर महादेव' और 'जय महाकाल' जैसे जयकारे गूंज रहे हैं, लेकिन इसी बीच इस फिल्म को लेकर कुछ लोग सवाल भी उठाने लगे हैं और अक्षय कुमार को इस किरदार के लिए ट्रोल भी कर रहे हैं


अक्षय कुमार पर भड़के लोग

अक्षय कुमार और पंकज त्रिपाठी की फिल्म 'ओएमजी 2' का टीजर रिलीज हो गया है। टीजर के रिलीज होते ही विवाद हो गया है। फिल्म 'ओएमजी 2' के टीजर में अक्षय कुमार ने कुछ ऐसा कर दिया जिसको देखने के बाद लोग भड़क गए। 'ओएमजी 2' के टीजर में एक सीन है, जहां अक्षय कुमार गंगा में अपने मुंह में गया पानी निकाल रहे हैं। जिसको देखने के बाद लोग अपने गुस्से को रोक नहीं पाए और ट्विटर पर अक्षय कुमार की क्लास लगा दी। इस सीन को देखने के बाद भड़के यूजर्स ने लिखा, 'अक्षय की ये फिल्म भी फ्लॉप होगी', तो वही दूसरे यूजर ने लिखा 'कनाडा के अक्षय कुमार के लिए गंगा में थूकना नई आम बात है'। इसके अलावा भी कई यूजर्स ने अक्षय कुमार को इस सीन के लिए सोशल मीडिया पर खूब ट्रोल किया है



सोशल मीडिया पर शाहरुख खान का तहलका

  सुपर स्टार शाहरुख ख़ान की अपकमिंग फिल्म 'जवान' के प्रीव्यू को काफी पसंद किया जा रहा है.

इस पर ही बॉलीवुड के 'भाईजान' दबंग सलमान खान ने भी इसकी तारीफ में अपने इंस्टाग्राम पर 'जवान' का प्रीव्यू शेयर किया और कैप्शन में लिखा है,



"पठान' जवान बन गया, बेहतरीन ट्रेलर, बहुत पसंद आया. ये एक ऐसी फिल्म है जिसे हमें सिनेमाघरों में ही देखनी चाहिए. मैं तो पक्का इसे इसे पहले दिन ही देखने जाऊंगा. मजा आ गया वाह."

मूवी बहुत सी आती हैं पर जवान के प्री-व्यू आते ही हर जगह छा जाना.....शाहरुख की लोकप्रियता दिखाता है कभी कभी लगता है कि पिछले कुछ सालों में सलमान,आमिर ज्यादा कामयाबी हासिल कर रहे थे शाहरुख की तुलना में।

अचानक से शाहरुख खान उभरकर सामने आ जाते हैं। इन तीनो में शाहरुख खान ओवरसीज में ज्यादा लोकप्रिय हैं,विशेष तौर मुस्लिम देशों में।



जवान फ़िल्म का Prevue or Preview देखकर लग रहा है जल्द ही बॉक्सऑफिस पर फिर बवाल मचने वाला है क्योंकि जितना ट्रेलर में दिख रहा है, इस फ़िल्म के हाई-क्लास एक्शन-सीक्वेंस "पठान" से भी काफी बेहतर नज़र आ रहे हैं.. 


बस बॉयकॉट-गैंग कोई डॉयलॉग या ड्रेस का मुद्दा पकड़कर हैशटैग चालू कर दे तो शाहरुख & टीम फिर से हजार करोड़ आसानी से छाप लेगी

फिल्म के प्रीव्यू में हर सीन दमदार है


किंग खान स्वैग से भरपूर दिख रहे हैं। फैन्स के लिए मुख्य आकर्षणों में से एक शाहरुख के अलग-अलग लुक को देखना है। इसके अलावा एक्सन भी जबरदस्त देखने को मिल रहा है।



सोशल मीडिया पर मचा तहलका :- किंग खान की फिल्म जवान का ट्रेलर जब से आया है, सोशल मीडिया पर तहलका मचा हुआ है। कहा जा रहा है कि ‘जवान’ शाहरुख की पिछली फिल्म ‘पठान’ का रिकॉर्ड तोड़कर उससे ज्यादा पैसा बटोरेगी। इसी साल की शुरुआत में पठान ने बॉक्स ऑफिस पर तहलका मचाया था। ग्लोबल मार्केट में पठान ने 1000 करोड़ से अधिक का बिजनेस किया था। पठान की ताबड़तोड़ कमाई के बाद फैंस को जवान से काफी उम्मीद है। जैसा प्रीव्यू देख कर लग रहा है यदि इसी लीक पर फिल्म होती है, तो फिल्म रिकॉर्ड बनाएगी।



जबरदस्त स्टार कास्ट :- पावर पैक्ड एक्शन फिल्म में शाहरुख खान के अलावा साउथ सुपरस्टार थलपति विजय, नयनतारा, सान्या मल्होत्रा, प्रियमणि, सुनील ग्रोवर अहम रोल में दिखेंगे। सबसे सरप्राइजिंग दीपिका पादुकोण की एंट्री है। उनकी कास्टिंग को मेकर्स ने अभी तक सीक्रेट रखा था। कहा जा रहा है फिल्म में दीपिका का कैमिया रोल होगा। प्रीव्यू में दीपिका की छोटी सी झलक भी देखने को मिलती है। इसी के साथ चर्चा है फिल्म में शाहरुख खान का डबल रोल होने वाला है।


Shah Rukh Khan

 



Karan Johar made his directorial debut with the romantic drama Kuch Kuch Hota Hai, starring Shah Rukh Khan, Kajol, and Rani Mukerji, in 1998. It received multiple accolades including the National Film Award for Best Popular Film For Providing Wholesome Entertainment. Now, an Instagram user named Karan Mirchandani has reimagined the classic film as a murder mystery and explained in detail as well how Kuch Kuch Hota Hai is the 'greatest murder mystery film of all time'. 




Sharing a video on his Instagram with the caption, "Kuch Kuch Hota Hai did it before Knives Out!", Karan said in the clip, "My favourite murder mystery is actually Kuch Kuch Hota Hai. Kuch Kuch Hota Hai is a great murder mystery film because it is packaged as a high school romance and it ends up being unsolved. There is a girl who gets eight letters from her mother, who’s mysteriously died, and mysteriously written these eight letters convincing her daughter that her husband needs to get together with his high school lover. That’s so bizarre right? Why would a mother write her daughter that?".

Karan, who calls himself a Chronic Bollywood overthinker in his Instagram bio, continued with his explanation, "It is because Rahul and Anjali, when they were in high school, they came across Tina who came from a lot of money and Rahul and Anjali didn’t. So they realised if they want to set their future up that Rahul can marry Tina, Tina could mysteriously die a few years later, and then all the money would come to Rahul. And then Anjali can marry Rahul. But the only snag is that Rahul and Tina had a kid."



He further shares the plot twist as he added, "So how do they make sure that the kid is on board of this plan as well without really knowing what happened? If the kid thinks it was her idea this whole time. If the kid thinks that the mom delegated this task to her to get Rahul and Anjali to be together, then the kid’s out of the way. She believes she loves this new mom now. She has replaced the mom in her head and even though the ghost of Tina shows up in the end to try to stop Anjali from doing this, she is now fully convinced that she did it for love! So now they get the money and the daughter’s on board. It's a brilliant plan. It's the only murder mystery in which the killers never get caught."